दोस्तो, मैं साहिल, 22 साल का जवान मर्द। ये हॉट पड़ोसी लड़की की चुदाई की कहानी बस 3 महीने पुरानी है, मई 2025 की। मेरे पड़ोस में एक लड़की रहती है, दिव्या, 19 साल की, नई-नवेली जवान। क्या माल थी यार! उसकी गांड बाहर निकली हुई, बूब्स टाइट और उभरे हुए। मेरा लंड तो उसे देखकर हर बार तन जाता था। मन करता था, साली को यहीं पटक के चोद दूं। लेकिन डर लगता था, कहीं गड़बड़ न हो जाए। फिर एक दिन, उसका इंस्टा मेसेज आया, और बस, खेल शुरू हो गया।
इंस्टा चैट से चूत की मस्ती
मई की गर्मी थी। मैं अपने कमरे में मोबाइल चला रहा था। तभी दिव्या का इंस्टा मेसेज आया: “साहिल, मेरा बीएफ बनोगे?” मैंने सोचा, मजाक कर रही है। मैंने रिप्लाई किया, “मजाक मत कर, दिव्या।” उसने लिखा, “सच में, मान जा।” यार, मेरी तो लॉटरी लग गई! फिर हमारी चैट शुरू हुई। पहले नॉर्मल बातें, फिर सेक्सी चैट। वो अपनी चूचियां और गांड की बातें करने लगी। मैं भी खुल गया, लंड की तारीफ करने लगा।
लेकिन सामने मिलती तो शरमा के गर्दन नीचे कर लेती। मैंने एक दिन मेसेज किया, “दिव्या, मुझे किस चाहिए।” पहले वो ना-नुकुर करती रही, लेकिन फिर मान गई। “ठीक है, लेकिन डर लगता है,” उसने कहा। मैंने लिखा, “अरे, कुछ नहीं होगा।” बस, अगले दिन दोपहर को मैं उसके घर पहुंच गया।
पहला चुंबन और नंगे बूब्स
दिव्या अपने बेड पर बैठी थी। मुझे देखकर खड़ी हो गई। उसकी टाइट टी-शर्ट में बूब्स उभरे थे। मैंने कहा, “कब दोगी किस?” वो बोली, “डर लगता है, मेरा पहला टाइम है।” मैंने कहा, “कोई बात नहीं, बस मज़ा ले।” मैंने उसे पास खींचा, गले लगाया। उसकी गर्म सांसें मेरे चेहरे पर लगीं। मैंने पहले उसके माथे पर किस किया, फिर लिप्स पर। यार, उसके होंठ इतने गर्म थे, मानो आग चूम ली।
पहले वो शरमाई, लेकिन फिर पागलों की तरह मुझे चूमने लगी। मेरे हाथ उसकी चूचियों पर चले गए। मैंने उसकी टी-शर्ट उतारी। उसके नंगे बूब्स बाहर निकले, टाइट और गोल। मैंने चूसना शुरू किया। “साहिल… आह… मज़ा आ रहा है…” वो सिसक रही थी। मैंने अपनी शर्ट उतारी, उससे चिपक गया। उसकी नंगी चूचियां मेरे सीने से रगड़ रही थीं। माहौल चुदाई का बन गया।
चूत में लंड डाला, खून निकला
मैंने दिव्या का लोअर खींचा। उसने नीचे कुछ नहीं पहना था। उसकी गुलाबी चूत चमक रही थी, गीली और टाइट। मेरा 7 इंच का लंड पैंट में तड़प रहा था। मैंने उसे बेड पर लिटाया, उसकी चूत चाटी। “साहिल… उफ्फ… क्या कर रहा है…” वो मदहोश हो गई। मैंने एक उंगली चूत में डाली, अंदर-बाहर किया। उसका पानी निकला, नमकीन और खट्टा। मैंने चाट लिया।
“अब मेरी बारी,” मैंने कहा। मैंने पैंट उतारी, लंड बाहर निकाला। “इतना बड़ा…” उसने डरते हुए कहा। मैंने कहा, “चूस ले।” उसने मना किया, तो मैंने ज़ोर नहीं डाला। मैंने उसकी गांड के नीचे तकिया रखा, लंड चूत पर सेट किया। पहला धक्का मारा, लंड फिसला। फिर सही निशाना लगाया। चूत में लंड डालते ही खून निकलने लगा। “साहिल… दर्द हो रहा है…” वो रोने लगी। मैंने उसके होंठ चूमे, धीरे से और गहरा डाला। तीसरे झटके में पूरा लंड अंदर।
10 मिनट चुदाई और गर्म पिचकारी
थोड़ी देर रुककर मैंने धक्के शुरू किए। खून और चूत का रस टपक रहा था। “साहिल… अब मज़ा आ रहा है…” दिव्या बोली। मैंने रफ्तार बढ़ाई। उसकी चूचियां उछल रही थीं। 10 मिनट की चुदाई के बाद मैं चरम पर पहुंचा। “दिव्या… मैं आ रहा हूँ…” मैंने चिल्लाया। “अंदर डाल दे…” वो सिसकी। मैंने पड़ोसी लड़की की चूत में गर्म पिचकारी छोड़ी। वो दो बार झड़ चुकी थी।
हम लिपटकर लेट गए। उसका नंगा बदन पसीने और मेरे माल से भीगा था। “साहिल, ये हमारा राज़ है,” उसने कहा। मैंने हंसकर कहा, “पक्का।” उस दिन मैंने उसे 3 बार चोदा। दिव्या का भाई बाहर रहता था, मामी आशा वर्कर थी, और पापा काम पर। दोपहर 12 से 4 बजे तक वो अकेली रहती थी। हर बार मैंने उसकी चूत में माल डाला।
गुप्त चुदाई और गांड की मस्ती
ये सिर्फ़ शुरुआत थी। अगले 3 महीने हम रोज़ चुदाई करते। कभी उसके बेड पर, कभी मेरे कमरे में। दिव्या की नंगी चूचियां और चूत मुझे पागल कर देती थीं। एक दिन चुदाई के दौरान उसकी गांड देखी, मस्त गोल और टाइट। मैंने उंगली डाली, आधी अंदर चली गई। “तेरी गांड इतनी खुली कैसे?” मैंने पूछा। उसने बताया, “बुआ का लड़का मेरी गांड मार चुका है।”
मेरा लंड और तन गया। मैंने चूत से लंड निकाला, उसकी गांड पर थूक लगाया। “साहिल… आराम से…” वो बोली। मैंने एक धक्का मारा, आधा लंड अंदर। वो चीखी, “निकालो!” लेकिन मैंने दूसरा धक्का मारा, पूरा लंड गांड में। 5 मिनट की चुदाई के बाद मैंने उसकी गांड में माल डाला। उसकी गांड से माल टपक रहा था। “साहिल… तू जंगली है…” वो हंसी।
दो महीने बाद: बीज का फल
दो महीने बाद, दिव्या ने मेसेज किया, “साहिल, मेरे पीरियड्स नहीं आए।” मुझे अंदाज़ा हो गया। मैंने प्रेगनेंसी किट दी। उसने चेक किया, पॉज़िटिव। “साहिल, मैं प्रेगनेंट हूँ,” उसने कहा। मेरे सीने में धक्का लगा। “तेरा बच्चा है,” उसने मुस्कुराकर कहा। मैंने उसे गले लगाया। “हम संभाल लेंगे,” मैंने कहा। लेकिन डर भी था। मैंने उसे गोली दी, और उसके बाद मैंने चूत में माल नहीं डाला।
हमारा रिश्ता गहरा हो गया। दिव्या की चूत और गांड मेरे लंड की दीवानी थी। वो कहती, “साहिल, तू मेरा सब कुछ है।” मैं उसे चूमता, “तू मेरी जन्नत है।” हम सावधान रहते, पड़ोसियों को शक न हो। लेकिन चुदाई हर बार जंगली थी। मकान मालिक की बेटी की चुदाई की तरह ही, ये कहानी नग्नता, प्यार, और आग का मेल थी। और ऐसी हॉट देसी चुदाई कहानियां पढ़ने के लिए, यहाँ क्लिक करें।
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