दिल्ली के एक चमचमाते ऑफिस में काम का माहौल गर्म था। लेकिन, असली गर्मी विक्रम और नेहा के दिलों में थी। विक्रम, 32 साल का हैंडसम बॉस, और नेहा, 25 की खूबसूरत कर्मचारी। उनकी नज़रें मीटिंग्स में टकराती थीं। ऑफिस चुदाई की यह कहानी प्यार, ख्वाहिश, और गुप्त मुलाकातों की आग से भरी है।
नेहा की टाइट स्कर्ट और विक्रम की गहरी आवाज़। दोनों के बीच केमिस्ट्री छुप नहीं पाती थी। ऑफिस में सब काम में डूबे थे। लेकिन, इन दोनों के दिल चुदाई की ख्वाहिश में डूबे थे। एक देर रात, ऑफिस में अकेले रहने का मौका मिला। और फिर, सब कुछ बदल गया।
देर रात ऑफिस में गर्मी
रात के 9 बज रहे थे। ऑफिस खाली हो चुका था। नेहा प्रेजेंटेशन पूरा कर रही थी। विक्रम अपने केबिन में था। “नेहा, अभी तक रुकी हो?” उसने पूछा। उसकी आवाज़ में शरारत थी। नेहा ने मुस्कुराकर कहा, “सर, आपका काम खत्म करना ज़रूरी है।” उसकी चूचियां ब्लाउज़ में उभरी हुई थीं।
विक्रम ने उसे अपने केबिन में बुलाया। “बैठो, नेहा। थोड़ा रिलैक्स करो,” उसने कहा। नेहा पास बैठी। उसकी परफ्यूम की खुशबू विक्रम को पागल कर रही थी। फिर, उनकी नज़रें मिलीं। “तुम बहुत खूबसूरत हो,” विक्रम ने धीरे कहा। नेहा शरमाई, पर बोली, “सर, ये गलत है…”
पहला चुंबन और चूचियों का स्पर्श
विक्रम ने नेहा का हाथ पकड़ा। उसने मना नहीं किया। उसकी सांसें तेज़ थीं। फिर, विक्रम ने उसकी ज़ुल्फें हटाईं। धीरे से उसके होंठों पर अपने होंठ रखे। पहला चुंबन गर्म और गीला था। नेहा सिहर उठी। उसने विक्रम को पास खींच लिया। ऑफिस चुदाई की शुरुआत हो चुकी थी।
विक्रम ने नेहा के ब्लाउज़ के बटन खोले। उसकी नरम चूचियां ब्रा में क़ैद थीं। “नेहा… आह…” उसने कहा। उसने ब्रा उतारी। नेहा की चूचियां आज़ाद थीं। विक्रम ने उन्हें चूमा। निप्पल्स को उंगलियों से सहलाया। नेहा की सिसकारी निकली। “सर… ये गलत… पर मज़ा आ रहा है…”
नेहा की चूत गीली हो चली थी। उसने विक्रम की शर्ट उतारी। उसका मज़बूत सीना देखकर नेहा की ख्वाहिश और बढ़ी। “सर, आप इतने हॉट हैं,” उसने शरमाते हुए कहा। विक्रम ने हंसकर उसे चुप कराया।
ऑफिस डेस्क पर चूत का खेल
विक्रम ने नेहा को डेस्क पर बिठाया। उसकी स्कर्ट ऊपर की। नेहा की गीली पैंटी दिख रही थी। “नेहा, तू कितनी सेक्सी है,” विक्रम बोला। उसने पैंटी उतारी। नेहा की चूत चमक रही थी। विक्रम ने अपनी उंगली अंदर डाली। “आह… सर…” नेहा सिसकी। उसकी चूत गर्म थी।
नेहा ने विक्रम की पैंट खोली। उसका तना हुआ लंड बाहर आया। “इतना बड़ा…” नेहा ने शरारत से कहा। उसने लंड को सहलाया। विक्रम पागल हो रहा था। “नेहा, अब रुक नहीं सकता,” उसने कहा। उसने नेहा की जांघें खोलीं। अपना लंड चूत के पास रखा।
“सर, आराम से… मैं डर रही हूँ,” नेहा बोली। विक्रम ने उसकी आंखों में देखा। “ट्रस्ट मी,” उसने कहा। धीरे से लंड अंदर डाला। नेहा ने होंठ काटे। “हम्म… आह…” दर्द मज़े में बदला। ऑफिस चुदाई का नशा चढ़ रहा था।
चुदाई की रफ्तार और चरमसुख
विक्रम ने रफ्तार बढ़ाई। डेस्क हिल रहा था। नेहा की सिसकारियां कमरे में गूंज रही थीं। “सर… और तेज़… आह…” नेहा चिल्लाई। उसकी चूचियां हर झटके के साथ उछल रही थीं। विक्रम ने नेहा को डेस्क पर लिटाया। उसकी चूत को और गहराई से रगड़ा।
“नेहा, तू मुझे पागल कर देगी,” विक्रम बोला। नेहा ने उसे पास खींचा। “सर, मैं आपकी हूँ,” उसने कहा। 20 मिनट की जबरदस्त चुदाई के बाद दोनों चरम पर पहुंचे। “मैं आ रहा हूँ…” विक्रम चिल्लाया। “मेरे अंदर… आह…” नेहा बोली। दोनों ने चरमसुख पाया।
लिपटकर बैठे, दोनों की सांसें तेज़ थीं। ऑफिस का सन्नाटा उनकी धड़कनों से टूट रहा था। “ये हमारा राज़ है, नेहा,” विक्रम ने कहा। नेहा ने मुस्कुराकर सिर हिलाया। “हमेशा,” उसने जवाब दिया।
ऑफिस में गुप्त मुलाकातें
यह सिर्फ़ शुरुआत थी। विक्रम और नेहा की ऑफिस चुदाई अब रेगुलर हो गई। हर देर रात, जब ऑफिस खाली होता, वो मिलते। कभी कॉन्फ्रेंस रूम में, कभी स्टोररूम में। उनकी ख्वाहिशें और गहरी होती गईं। नेहा की चूत और विक्रम का लंड एक-दूसरे के लिए बने थे।
एक रात, नेहा ने विक्रम को कॉन्फ्रेंस रूम में खींचा। “सर, आज कुछ नया करें?” उसने शरारत से कहा। विक्रम ने उसे टेबल पर बिठाया। उसकी स्कर्ट उतारी। नेहा की चूचियां ब्लाउज़ से बाहर थीं। विक्रम ने उसे पीछे से पकड़ा। “नेहा, तू आग है,” उसने कहा। चुदाई की आवाज़ टेबल के हिलने से मिल रही थी।
“सर… और ज़ोर से…” नेहा सिसकी। विक्रम ने पूरी ताकत लगाई। नेहा की चूत हर झटके को अपनाती थी। 15 मिनट बाद, दोनों फिर चरम पर पहुंचे। “नेहा… तू कमाल है…” विक्रम बोला। नेहा हंस पड़ी। “आप भी तो,” उसने कहा।
प्यार या सिर्फ़ चुदाई?
विक्रम और नेहा का रिश्ता गहरा हो गया। ऑफिस में वो प्रोफेशनल थे। लेकिन, रातें उनकी थीं। क्या ये सिर्फ़ चुदाई थी? या प्यार भी था? नेहा को विक्रम की हर बात अच्छी लगती थी। विक्रम को नेहा की हर अदा। लेकिन, ऑफिस का माहौल और सोसाइटी का डर। दोनों सावधान थे।
एक दिन, नेहा ने विक्रम से पूछा, “सर, ये कब तक चलेगा?” विक्रम ने उसका हाथ थामा। “जब तक हम चाहें,” उसने कहा। नेहा की आंखें चमकीं। “तो हमेशा,” उसने जवाब दिया। उनकी ऑफिस चुदाई अब एक गुप्त प्यार की कहानी थी।
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और गहरे में डूबें
विक्रम और नेहा की कहानी थमी नहीं। ऑफिस के बाहर भी वो मिलने लगे। कभी होटल में, कभी विक्रम के फ्लैट पर। उनकी चुदाई हर बार नई थी। नेहा ने एक बार विक्रम को बेडरूम में बांधा। “आज मैं कंट्रोल करूंगी,” उसने शरारत से कहा। विक्रम हंस पड़ा। “चल, दिखा,” उसने कहा।
नेहा ने विक्रम के लंड को चूसा। उसकी चूत को विक्रम के चेहरे पर रगड़ा। “नेहा… तू जादूगरनी है…” विक्रम सिसका। 30 मिनट की चुदाई के बाद, दोनों थककर लेट गए। “नेहा, तू मेरी ज़िंदगी है,” विक्रम बोला। नेहा ने उसे चूमा। “और तू मेरी,” उसने कहा।
उनका रिश्ता गुप्त था। लेकिन, उनकी ख्वाहिशें खुली थीं। ऑफिस चुदाई की ये कहानी प्यार और आग का मेल थी।
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