मध्य प्रदेश के एक छोटे से कस्बे में होली का त्योहार धूमधाम से मन रहा था। रोहन, 26 साल का जवान लड़का, और उसकी पड़ोसी की नई-नवेली बीवी काजल, 22 साल की हसीन औरत। दोनों की नज़रें होली की रंग-बिरंगी भीड़ में बार-बार टकराती थीं। पड़ोसी की चुदाई की ये कहानी नग्न ख्वाहिश, गुप्त प्यार, और चूत में लंड की पिचकारी की आग से भरी है।
काजल की भीगी कुर्ती में चूचियां साफ़ दिख रही थीं। उसकी गीली चूत की शेप सलवार में उभर रही थी। रोहन का लंड पैंट में तन गया। होली की मस्ती, रंगों की बौछार, और गली का उन्माद। सब कुछ उनके नंगे बदन को एक-दूसरे के करीब ला रहा था। एक दोपहर, होली की मस्ती के बाद, दोनों अकेले रह गए। और फिर, पड़ोसी की चूत में लंड की पिचकारी छोड़ी गई।
होली की मस्ती में नंगी चूचियां
दोपहर के 3 बज रहे थे। होली की भीड़ छंट चुकी थी। गली रंगों से सजी थी। रोहन अपने घर की छत पर रंग धो रहा था। तभी काजल आई। “रोहन, अभी तक रंगों में डूबा है?” उसने पूछा। उसकी भीगी कुर्ती चिपकी थी, चूचियां नंगी-सी दिख रही थीं। उसकी सलवार में चूत की शेप उभरी थी। रोहन का लंड तन गया।
“काजल भाभी, तुम रंगों में जन्नत लग रही हो,” रोहन ने कहा। काजल शरमाई। “चुप, शरारती,” उसने जवाब दिया। फिर, उनकी नज़रें मिलीं। दोपहर की गर्मी थी। लेकिन, उनके नंगे बदन की आग और तेज़ थी। “होली कैसी लगी?” रोहन ने पूछा। काजल ने मुस्कुराकर कहा, “तेरे साथ मस्ती अलग है।”
काजल ने शरारत की। “रंग और डालूँ?” उसने पूछा। रोहन हंसा। “डालो, भाभी,” उसने कहा। माहौल गर्म हो गया। पड़ोसी की चुदाई की शुरुआत होने वाली थी।
रंगों में नंगा चुंबन और चूत की चाह
रोहन ने काजल की कमर पकड़ी। उसने मना नहीं किया। उसकी सांसें तेज़ थीं। फिर, रोहन ने उसकी रंगी ज़ुल्फें हटाईं। धीरे से उसके होंठों पर अपने होंठ रखे। चुंबन गीला, गर्म, और रंगों से सना था। काजल सिहर उठी। उसने रोहन को पास खींच लिया। “रोहन… ये पाप है…” उसने कहा। लेकिन, उसकी आँखें चूत की चाह दिखा रही थीं।
रोहन ने काजल की कुर्ती फाड़ दी। उसकी नंगी चूचियां रंगों से सजी थीं। “भाभी… क्या माल हो…” उसने कहा। उसने चूचियां चूसीं। काजल की सिसकारी निकली। “रोहन… आह… चूस ले…” उसने कहा। रोहन ने सलवार खींचकर उतारी। काजल की चूत नंगी थी, गीली और रंगों से चमक रही थी। उसने काजल की चूत को सहलाया। “रोहन… डाल दे…” काजल सिसकी।
काजल ने रोहन की पैंट उतारी। उसका 8 इंच का लंड तना हुआ था। “इतना मोटा…” काजल ने शरारत से कहा। उसने लंड को मुँह में लिया। रोहन पागल हो गया। “भाभी… तू आग है…” उसने कहा।
चूत में लंड डाला, खून निकला
रोहन ने काजल को छत पर लिटाया। उसका नंगा बदन रंगों और पसीने से चमक रहा था। उसकी चूचियां उछल रही थीं। रोहन ने काजल की जांघें खोलीं। उसकी चूत टाइट और गीली थी। “रोहन, पहली बार है… आराम से,” काजल बोली। रोहन ने उसकी आँखों में देखा। “भरोसा रख,” उसने कहा। उसने अपना लंड चूत पर रगड़ा। फिर, धीरे से लंड डालते ही खून निकलने लगा। काजल की चीख निकली। “रोहन… दर्द हो रहा है…”
रोहन रुका। उसने काजल की चूचियां चूसीं। “बस, भाभी, मज़ा आएगा,” उसने कहा। धीरे-धीरे दर्द मज़े में बदला। काजल की सिसकारियां गूंजने लगीं। “रोहन… और गहरा…” उसने कहा। पड़ोसी की चुदाई का नशा चढ़ गया। रोहन ने रफ्तार बढ़ाई। काजल की चूत लंड को निगल रही थी।
10 मिनट चुदाई और गर्म पिचकारी
रोहन ने काजल को दीवार से टिकाया। उसकी चूचियां उछल रही थीं। चूत से खून और रस टपक रहा था। “रोहन… चोद दे मुझे…” काजल चिल्लाई। रोहन ने पूरी ताकत से चुदाई शुरू की। छत पर रंग और उनकी सिसकारियां बिखर रही थीं। 10 मिनट की जबरदस्त चुदाई के बाद रोहन चरम पर पहुंचा। “भाभी… मैं आ रहा हूँ…” उसने चिल्लाया। “मेरे अंदर… गर्म पिचकारी छोड़…” काजल बोली। रोहन ने पड़ोसी की चूत में लंड की गर्म पिचकारी छोड़ी। काजल सिहर उठी। “आह… रोहन… भ भर गया…”
दोनों लिपटकर लेट गए। काजल का नंगा बदन रंगों, पसीने, और लंड के पानी से भीगा था। “ये हमारा राज़ है, काजल,” रोहन ने कहा। काजल ने मुस्कुराकर सिर हिलाया। “हमेशा,” उसने जवाब दिया।
गुप्त चुदाई की रातें
होली की वो दोपहर शुरुआत थी। रोहन और काजल की पड़ोसी की चुदाई अब रेगुलर हो गई। वो छुपकर मिलते। कभी रोहन के घर, कभी काजल की छत पर। काजल की नंगी चूचियां और चूत रोहन को पागल कर देती थीं। उसका लंड हर बार काजल की चूत में गहरा जाता।
एक रात, काजल के घर में दोनों अकेले थे। काजल ने अपनी साड़ी उतारी। उसकी चूत पहले से गीली थी। “रोहन, आज मुझे रगड़ दे,” उसने कहा। रोहन ने काजल की चूत को जीभ से चाटा। “भाभी… तेरी चूत स्वर्ग है…” उसने कहा। काजल ने रोहन का लंड चूसा। 15 मिनट की चुदाई के बाद, रोहन ने फिर काजल की चूत में पिचकारी छोड़ी। दोनों थककर लिपट गए।
दो महीने बाद: बीज का फल
दो महीने बाद, काजल ने रोहन को छुपकर बुलाया। उसका चेहरा उदास था। “रोहन, मेरे पेट में तेरा बीज फर गया,” उसने कहा। रोहन चौंक गया। “काजल… ये सच है?” उसने पूछा। काजल की आँखें नम थीं। “हाँ, तेरा बच्चा है,” उसने जवाब दिया। रोहन ने काजल को गले लगाया। “हम इसे संभाल लेंगे,” उसने कहा।
काजल और रोहन का रिश्ता अब और गहरा हो गया। वो सावधान थे। पड़ोसियों को शक न हो, इसका ध्यान रखते। लेकिन, उनकी चुदाई हर बार नंगी और जंगली थी। काजल की चूत में रोहन का लंड बार-बार पिचकारी छोड़ता। “रोहन, तू मेरा सब कुछ है,” काजल बोली। रोहन ने उसे चूमा। “और तू मेरी,” उसने कहा।
नंगी ख्वाहिशों का खेल
होली के बाद भी उनका रिश्ता थमा नहीं। काजल का पेट बढ़ रहा था, लेकिन उनकी ख्वाहिश कम नहीं हुई। एक रात, काजल ने रोहन को अपने घर बुलाया। उसने अपनी सलवार उतारी। उसकी चूचियां भारी थीं। चूत गीली और तैयार थी। “रोहन, आज धीरे से चोद,” उसने कहा। रोहन ने काजल की चूत को सहलाया। उसका लंड धीरे-धीरे अंदर डाला।
20 मिनट की चुदाई के बाद, रोहन ने फिर काजल की चूत में गर्म पिचकारी छोड़ी। “काजल, तू मेरी जन्नत है,” उसने कहा। काजल ने उसे गले लगाया। “और तू मेरा,” उसने जवाब दिया। उनका रिश्ता गुप्त था, लेकिन उनकी नंगी ख्वाहिशें खुली थीं। पड़ोसी की चुदाई की ये कहानी नग्नता, प्यार, और आग का मेल थी। और ऐसी हॉट देसी चुदाई कहानियां पढ़ने के लिए, यहाँ क्लिक करें।
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